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जुमा की तकरीर में बयां हुई रमज़ान शरीफ की फजीलत, मिला पैग़ाम

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जुमा की तकरीर में बयां हुई रमज़ान शरीफ की फजीलत, मिला पैग़ाम

गोरखपुर। इस्लामी कैलेंडर के मुबारक माह रमज़ान की आमद अगले हफ्ते से होने वाली है। 23 या 24 मार्च से रमज़ान का पहला रोजा रखा जाएगा।

शुक्रवार को जुमा की नमाज़ के दौरान मस्जिद के इमाम कारी नूरुलहोदा, मौलाना अली अहमद, मुफ्ती मेराज अहमद कादरी, मौलाना महमूद रज़ा कादरी, कारी शराफत हुसैन क़ादरी, कारी मोहसिन रजा, मौलाना मोहम्मद अहमद निजामी, हाफ़िज़ रहमत अली निजामी, मौलाना जहांगीर अहमद अजीजी, कारी अफजल बरकाती, मौलाना शेर मोहम्मद, मौलाना मो. असलम आदि ने रमज़ान शरीफ के फजाइल व रोज़े की अहमियत बताकर ज्यादा से ज्यादा इबादत करने का पैग़ाम दिया।

मस्जिद के इमामों ने कहा कि रमज़ान की बरकतों के क्या कहने, तीस दिनों तक अल्लाह की खास रहमत मुसलमानों पर बराबर बरसती है। नेकियों व रोज़ी में इज़ाफ़ा होता है। रमज़ान का महीना हर साल रहमतों, बरकतों, और मग़फिरत का न मिटने वाला ख़जाना लेकर हमारे बीच आता है। इस महीने का एक खास मकसद यह है कि हम परहेजगार बन जाएं। रोज़े की हालत में भूख व प्यास के एहसास के जरिए हमें अपने आस-पास के मुसलमान भाईयों की जरूरतों का भी ख्याल करना चाहिए। रोज़ा हमें यह तालीम देता है कि हम खुद ही लज़ीज़ खानों और ठंडे शर्बतों से पेट न भरें बल्कि अपने ग़रीब, मुफलिस, भूखे और खाली हाथ मुसलमान भाईयों की जरूरतों का भी ख्याल रखें। रमज़ान में हर रोज जन्नत को सजाया जाता है। रोजेदारों की दुआएं कबूल होती हैं। लिहाजा रोजा रखकर खूब इबादत करें। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत करें। तरावीह की नमाज अदा करें। नेकी का हर काम करें। खूब दुआ मांगें। तौबा व अस्तगफार करें।

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